तुम्हारी आँखें हैं कि जादू का समंदर
Wednesday, November 25, 2009
लाख ग़म का भी फिर
लाख ग़म का भी फिर कारवां कुछ नहीं ।
सर पे गिरता हुआ आसमां कुछ नहीं ।
साथ में हों जो माँ की दुआएं अगर,
फिर बड़े से बड़ा इम्तिहां कुछ नहीं ।
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