Friday, May 8, 2009

रात दुश्मन ना अपना

रात दुश्मन कहीं  ना बना ले मुझे।
दे दिए तुमने इतने उजाले मुझे।

ओस का वो है कतरा तो मैं शम्स है,
कर रहा है तू किसके हवाले मुझे ।

आँख में थी तेरी जुस्तजू हर क़दम
रोक पाते क्या पैरों के छाले मुझे ।

तीरगी देख ले वक़्त बदला है फिर ,
दे रहे हैं सदा फिर उजाले मुझे ।

रात भर कल तमाशा ये चलता रहा
कोई खो दे मुझे कोई पा ले मुझे





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