Monday, December 21, 2009

दिल की हर उम्मीद जुडी है तुमसे ही


दिल की हर उम्मीद जुडी है तुमसे ही ।
मंज़र मंज़र दीद जुडी है तुमसे ही ।
चाँद कहा है तुमको तो दिखते रहना,
मेरी तो हर ईद जुडी है तुमसे ही ।

5 comments:

अजय कुमार said...

बेहद रोमांटिक रचना

संजय भास्‍कर said...

हर शब्‍द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

नीरज गोस्वामी said...

बहुत खूब भाई...वाह..
नीरज

अर्चना तिवारी said...

चाँद कहा है तुमको तो दिखते रहना,
मेरी तो हर ईद जुडी है तुमसे ही

बहुत खूब...

रंजना said...

Waah...in chaar panktiyon me hi aapne kamal rach diya....