तुम्हारी आँखें हैं कि जादू का समंदर
Thursday, August 12, 2010
चिराग तुमने
चिराग तुमने तअस्सुब के क्या जलाए हैं
जिधर भी देखो अँधेरे- अँधेरे छाए हैं
तुम अपने शौक के हाथों का जाएज़ा
लेना
किसी के आँख के सब खाब नोच लाये हैं
1 comment:
राणा प्रताप सिंह (Rana Pratap Singh)
said...
बहुत खूब...बहुत सुन्दर
August 13, 2010 at 12:19 AM
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1 comment:
बहुत खूब...बहुत सुन्दर
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