कभी गिनता है गैरों में कभी अपना बनाता है।
अजब इन्सां है मुझमें ही मेरा मजमा बनाता है
फ़क़त ये गम है तेरा ही मेरी पथरीली आंखों में
जो पानी ढूंढ लाये और फिर दरिया बनाता है।
जुनू मेरा मेरी माँ की दुआ के साथ मिल कर के
जहाँ मुमकिन नही फिर भी वहाँ रस्ता बनाता है।
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