किसी की तो घर में ही शामो-सहर है।
किसी के लिए बस सफर ही सफर है।
उसे देख पाने की हिम्मत गँवा दी ,
उसे देखने की तड़प इस कदर है ।
ज़मीं से ही बेशक जुडा है वो लेकिन
उसे आसमानों की पूरी खबर है।
अंधेरों का मुझको नहीं खौफ कोई ,
मुझे इन सियासी उजालों का डर है ।
किसी के लिए बस सफर ही सफर है।
उसे देख पाने की हिम्मत गँवा दी ,
उसे देखने की तड़प इस कदर है ।
ज़मीं से ही बेशक जुडा है वो लेकिन
उसे आसमानों की पूरी खबर है।
अंधेरों का मुझको नहीं खौफ कोई ,
मुझे इन सियासी उजालों का डर है ।
2 comments:
बहुत सुन्दर रचना । आभार
चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है.......भविष्य के लिये ढेर सारी शुभकामनायें.
SANJAY
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
बहुत सुन्दर रचना । आभार
भविष्य के लिये ढेर सारी शुभकामनायें.
SANJAY
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