तुम्हारी आँखें हैं कि जादू का समंदर
Monday, July 5, 2010
दिल में अपने
दिल में अपने दर्द के बीज वो बोने लगी
उसकी जैसे आधी जान सी होने लगी
बात कही बस थी परदेस को जाने की
माँ घर के कोने में जाके रोने लगी
1 comment:
संजय भास्कर
said...
बेहद ख़ूबसूरत और उम्दा
July 25, 2010 at 11:44 PM
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बेहद ख़ूबसूरत और उम्दा
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