कुछ ऐसे भी रस्ता तुझे सताएगा ।
हर इक पत्थर ठोकर बनके आएगा ।
दरया से तुम अपने हक की बात करो,
वरना तुमको कतरों में बहलाएगा ।
वो जिद्दी है बा- खूबी मैं वाकिफ हूँ,
रूठ गया तो फिर से मुझे मनाएगा ।
सबके लिए तू हो जाएगा जब बहरा ।
मेरे दिल की तू तब ही सुन पाएगा ।
शायिर ,आशिक,पागल भी हूँ कम है क्या,
इक इंसा कितने किरदार निभाएगा
हर इक पत्थर ठोकर बनके आएगा ।
दरया से तुम अपने हक की बात करो,
वरना तुमको कतरों में बहलाएगा ।
वो जिद्दी है बा- खूबी मैं वाकिफ हूँ,
रूठ गया तो फिर से मुझे मनाएगा ।
सबके लिए तू हो जाएगा जब बहरा ।
मेरे दिल की तू तब ही सुन पाएगा ।
शायिर ,आशिक,पागल भी हूँ कम है क्या,
इक इंसा कितने किरदार निभाएगा
3 comments:
सुंदर प्रयास है। बधाई।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
बेहतरीन ग़ज़ल
हर शेर लाजवाब है मगर आखिरी शेर ने तो एक जादू सा कर दिया है.
इस शेर में
वो जिद्दी है बा- खूबी मैं वाकिफ हूँ,
रूठ गया तो फिर से मुझे बनाएगा ।
."बनाएगा" की जगह "मनायेगा" आएगा.
...और अपनी फोटो को हटा ले पूरा स्क्रीन घेर रही है.
Post a Comment