ज़मीं से ना कट जाए रिश्ता हमारानिकलने लगे हैं बहुत पर हमारे।सलीके ना तय करना चलने के साहिबसफर कर ना पायेंगे रहबर हमारे।yah bhi khub kahi... daad kabul kijiye.
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ज़मीं से ना कट जाए रिश्ता हमारा
निकलने लगे हैं बहुत पर हमारे।
सलीके ना तय करना चलने के साहिब
सफर कर ना पायेंगे रहबर हमारे।
yah bhi khub kahi... daad kabul kijiye.
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